Thursday, November 19, 2020

टूटता न शाख़ से

टूटता न शाख़ से 

जूझता न ख़ाक से

जलता न आग पे

होता ना पाक मैं 


मंजर होते दिलकश 

क़दम रुक जाते कहीं

न हाथ होते काम के

न पल होते ख़ास ये


घनी छाँव, कड़ी धूप 

सबका एक स्थान है 

छालों ने दिया दुख

तो बढ़ाई भी रफ़्तार ये


घाव भी हैं, ग़म भी हैं

बिछड़ गए बाल हैं

जिस्म है फ़ौलाद नहीं 

सबकी एक याद है


पाया किसी का प्यार भी 

तो खोया किसी का साथ भी

गिला-शिकवा किसी से नहीं 

सब का इस्तिक़बाल है


जब तक यह जीव है 

साँसों का भंडार है 

साँसों में पल रहा 

रोज़ नया संसार है


राहुल उपाध्याय । 19 नवंबर 2020 । सिएटल

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Wednesday, November 18, 2020

मगर ऐ अमेरिका फिर भी मुझे तुझसे मोहब्बत है

कभी पलकों पे आँसू हैं, 

कभी लब पे शिकायत है

मगर ऐ अमेरिका फिर भी 

मुझे तुझसे मोहब्बत है


जो आता है, वो रोता है, 

ये दुनिया सूखी-साखी है

अगर है ऐश तो घर पे, 

जहाँ मनती दीवाली है

मगर इण्डिया नहीं जाना, 

अभी बनना सिटीज़न है


जो कमाता हूँ, वो खप जाए, 

बड़ी थोड़ी कमाई है

शेयर पे हाथ भी मारे, 

मगर पूँजी गवाई है

बने मिलियन्स थे ये सपने, 

मगर अब कर्ज़ किस्मत है


गराज में कार है, लेकिन 

मैं दफ़्तर जाऊँ बस लेकर

स्कूल के बच्चे की माफ़िक़, 

लदे बस्ता मेरी पीठ पर

फ़र्क बस इतना कि 

माँ नहीं, बीवी बाँधती टिफ़िन है


(निदा फ़ाज़ली से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 9 दिसम्बर 2011 । सिएटल 

https://youtu.be/GVpXwO2rQGA

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ये है सत्ता भोगी

कुछ नहीं समझ आता 

जब रोग ये लग जाता

ये है सत्ता भोगी

इसे दफ़ा तो कराओ

जाओ जाओ जाओ

कोई इसे तो भगाओ


कुछ समझा 

कुछ समझ न पाया

देश वालों का मन पक आया

और कभी सोचा जाएगा 

क्या कुछ खोया 

क्या कुछ पाया

जा तन लागे वो तन जाने

ऐसी है इस रोग की माया

इसकी इस हालत को और न बढ़ाओ 


सोच रहा हूँ जो 'जो' न होता

ख़ुशियों भरा जग आज न होता 

लोकतंत्र का एहसास न होता

गुल गुलशन गुलज़ार न होता

होने को कुछ भी होता पर

ये सुंदर संसार न होता

मेरे इन ख़यालों में

तुम भी डूब जाओ


यारो है ये क़िस्मत का मारा

सत्ता रोग जिसे लग जाता है

लोक-लाज का उसे होश नहीं है

अपनी लौ में रम जाता है

हर पल ख़ुद ही ख़ुद हँसता है

हर पल कुछ न कुछ बकता है

ये रोग लाइलाज़ सही फिर भी कुछ कराओ

कोई इसे तो भगाओ

इसकी कुर्सी तो हटाओ

और नहीं कुछ तो इसे अहसास तो दिलाओ

कोई कुर्सी तो हटाओ


(संतोष आनन्द से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 13 नवम्बर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/fyG6iBildhY


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Saturday, November 14, 2020

मुझे चश्मा लगा

मुझे चश्मा लगा

उसे भूख लगी


मेरे दीप जलें

उसके पास 

चूल्हा तक नहीं 


घड़ियों की तो गिनती ही क्या

मेरे पास

चार गाड़ियाँ हैं

छ: आईफ़ोन हैं 

पाँच टीवी हैं 

दो ऐलेक्सा हैं

चार बेडरूम का 

एक दो मंज़िला 

घर है

ज़मीन है

जेवरात हैं 


विषमताओं का 

मैं 

शोक मनाऊँ कि जश्न?


जीवन

कोई भूगोल नहीं 

कि

यहाँ से चलें 

और वहाँ पहुँच गए


जीवन

एक बेहतर कल की 

उम्मीद की

कल-कल है


राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2020 । सिएटल 

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Thursday, November 12, 2020

रोज़ कटता मेरा हाथ है

तेरे जार में रोज़ कटता मेरा हाथ है


तेरे प्यार में

निकालने जाता हूँ 

नानखटाई 

और

कट जाता मेरा हाथ है


——


मेरा अपना ख़ून 

मुझसे कुछ नहीं कहता


जब तक निकाल के न रख दूँ

किसी औज़ार से जुड़ी

पत्ती पर

और पढ़ूँ 

कोई नम्बर 


सौ से कम तो ख़ुश 

ज़्यादा तो दुखी


वो नहीं 

मैं 


वह भी

डॉक्टर के कहने पर


किस काम के

ये ज्ञान 

ये डॉक्टर 

ये औज़ार 

जो

हँसते-खेलते इंसान को

दुखी कर दें?


लम्बी उम्र जीने के लिए

दो पल के सुख से रोक दें


कल के लिए

आज बलि कर दें


——


तेरे जार में 

तेरे प्यार में 

रोज़ कटता मेरा हाथ है


राहुल उपाध्याय । 12 नवम्बर 2020 । सिएटल 



Wednesday, November 11, 2020

ये बात अजब ‘मत’वाली है

वो चुनाव हारा, वो सारे हँसे

ये बात अजब 'मत'वाली है

समझने वाले समझ गए हैं

ना समझे वो अनाड़ी है


चाँदी सी चमकती राहें

वो देखो झूम-झूम के बताए

सड़कों पे हैं वो नज़ारे 

कि अरमाँ नाच-नाच लहराए

बाजे दिल के तार, गाए ये बहार

उभरे हैं 'जो' जीवन में


चमचों ने चदरिया तानी

सुनें न 'जो' को मिल रही बधाई

जो जीता वही सिकंदर 

ये सीधी बात समझ में न आई

कहे हुआ फ़्रॉड, जाए कोर्ट के पास

उड़वाए मज़ाक़ वो खुद का


(शैलेंद्र से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 11 नवम्बर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/Cdmz6hfTHHY 


माना जनाब ने स्वीकारा नहीं


माना जनाब ने स्वीकारा नहीं

तुम्हारा साथ गवारा नहीं

मुफ़्त में बन के, बैठे हो तनके, 

वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं


हारे का चलन है गुलामी

लेते हैं चमचों की सलामी

गुस्सा ना कीजिए जाने भी दीजिए

गद्दी तो गद्दी तो दीजिए साहब


छोटा-मोटा कारोबार तुम्हारा

जैसा भी है अब है तुम्हारा

घर जाइए, कारोबार देखिए

दिल्लगी ना दिल्लगी ना कीजिये साहब


माशा अल्ला कहना तो मानो

बन जाए बिगड़ा ज़माना

थोड़ा हँसा दिया, थोड़ा रूला दिया

अलविदा तो अलविदा तो कीजिये साहब


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 9 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/ZK44u-6a1dU 


Monday, November 9, 2020

एन-आर-आई की निकली लॉटरी


हाथ में लड्डू सजे, मुख पे उजाला

पाँव थिरक रहें, करें नाच गाना

हुई जीत इनकी और अब ये ख़ुश हैं

हर तरफ़ खिले ख़ुशियों के पुष्प हैं 

आओ रे आओ सब मिल के गाओ

बाईडेन जीता और हैरिस न हारी


एन-आर-आई की निकली लॉटरी 

एन-आर-आई की क़िस्मत है न्यारी

एक तरफ़ कमल, एक तरफ़ कमला

बीच में गुगल के पालनहारी


देर से सही पर क़बूल तो हुई हैं

अर्जी दुखियों की क़बूल तो हुई हैं

इस बार देखो ग्रीन कार्ड मिलेगा

कोई भी अब न आईस से डरेगा

ख़ुश बड़े हैं जो भी खड़े हैं

एच-वन के प्यासे सब नर-नारी


चार बरस था अंधकार छाया 

माता पिता का दर्द बढ़ाया 

मुश्किल था पाना एच-वन का वीसा

मन्दिर गए गाई कई बार चालीसा 

तब-तब ये गाए, तब-तब ये गाए

जब-जब हुई आर-एफ-ई की मारामारी


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/5gMHIJX7QE4 


Sunday, November 8, 2020

चुनाव जायज़ है

चुनाव जायज़ है नहीं मनमानी

हर बार की यही है कहानी

फिर भी हारा हुआ हार न माने

कहे हुई है बड़ी छेड़खानी 


नादां की नहीं रवानी है ये

मौज नहीं आनी जानी है ये

कोई जीते कोई हार जाए

एक परम्परा पुरानी है ये

हर उम्मीदवार को मिलता है मौक़ा 

पार कश्ती ये कैसे लगानी


चार साल का ये राज था

करना था जो भी काम था

उम्र भर के लिए ये पद 

न मिला न मिलना आज था

जान कर भी है अन्जान बनते

और क्या होगी बोलो नादानी


वोट के बिन गुज़ारा नहीं

और कोई सहारा नहीं

तुम तो मेहमान हो इस घर के

ये तुम्हारा तुम्हारा नहीं

कैसा शिक़वा है कैसी शिकायत

क्यूँ हकीकत से आँखें चुरानी


प्यार हो, प्रेम हो, सद्भाव हो

सबके विकास का भी भाव हो

इस सफर के लिए है बहुत

दिल नेक और साफ़ हो

फिर तो जन्नत से बढ़कर राजनीति 

और खुशियों से भरी राजधानी 


(विश्वेश्वर शर्मा से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 नवम्बर 2020 । सिएटल


 https://youtu.be/Kh7CqEcO3tE 


Saturday, November 7, 2020

इतवारी पहेली: 2020/11/01


जीते जो जीते

काहे को रोए

जीते जो जीते

सफ़ल हुई 

वोटर की कामना


मूँछें तेरी काहे नादान

लटक गई डाल समान

समा जाये इस में तूफ़ान

कर तेरा जिगर आसमान

जाने क्यों तूने ये

झूठे सपन संजोए


पद छूटे तो ये बाक़ी 

जीवन और सुंदर बने

पढ़े-लिखे, बाँटे जो भी

ज्ञान तू बाँट सके 

काहे को बोझा ये

सर पे तू ढोए


कहीं पे है दुख की छाया

कहीं पे है ख़ुशियों की धूप

बुरा भला जैसा भी है

यही तो है बगिया का रूप

फूलों से, कांटों से 

माली ने हार पिरोए


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2020 । सिएटल 


वरना जीती हुई बाज़ी तो न हारे होते


वोट होते न ख़फ़ा 

आप हमारे होते

और न ग़ैरों की तरह 

आज नकारे होते


आपके चरित्र में पहले ही से न कोई दम है

और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है

वरना जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते


हम पक गए हैं किसी को बता भी न सके

सामने जाम था और जाम उठा भी न सके

काश चारों ओर लगे न ये नारे होते


दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं

तुम से क्या हम तो सिस्टम से भी शर्मिन्दा हैं

हट ही जाते जो न वकीलों के सहारे होते


(इंदीवर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/DlBce2EKazc 


Friday, November 6, 2020

चुनाव में हारनेवालों को


चुनाव में हारनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


हार की अंधियारी मंज़िल में

चारों ओर सियाही

आधी राह में ही रुक जाए

इस मंज़िल का राही

वोटों पर मरनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


बहलाए जब दिल ना बहले

तो ऐसे बहलाएँ

झूठ ही तो है जीत की दौलत

ये कहकर समझाएँ 

अपना मन छलनेवालों को

चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ


(राजिन्दर कृष्ण से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/uk1x7gW3m10 


Thursday, November 5, 2020

इलेक्शन लीडर देता है


इलेक्शन लीडर देता है

वोटर वोट देता है

जीतना उसका जीतना है, 

जिसे वोटर बहुमत देता है


विनर न बन पाए तो

लूज़र बनके न बकता चल

फूल मिलें या अँगारे

सच की राहों पे चलता चल

हार दिल से मानता है

गरिमा से पद देता है


चलता है जनता से सदन

कि घर सभी के चलते रहे

लोगों ने तय किए विधान

कि वोट सभी के गिनते रहे

नर वो नर है जो औरों के 

मत को आदर देता है


(अमित खन्ना से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 5 नवम्बर 2020 । सिएटल


https://youtu.be/oRIFc52oAMA