Wednesday, November 11, 2020

माना जनाब ने स्वीकारा नहीं


माना जनाब ने स्वीकारा नहीं

तुम्हारा साथ गवारा नहीं

मुफ़्त में बन के, बैठे हो तनके, 

वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं


हारे का चलन है गुलामी

लेते हैं चमचों की सलामी

गुस्सा ना कीजिए जाने भी दीजिए

गद्दी तो गद्दी तो दीजिए साहब


छोटा-मोटा कारोबार तुम्हारा

जैसा भी है अब है तुम्हारा

घर जाइए, कारोबार देखिए

दिल्लगी ना दिल्लगी ना कीजिये साहब


माशा अल्ला कहना तो मानो

बन जाए बिगड़ा ज़माना

थोड़ा हँसा दिया, थोड़ा रूला दिया

अलविदा तो अलविदा तो कीजिये साहब


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 9 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/ZK44u-6a1dU 


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें
US Elections
Majrooh
parodies


0 comments: