वो चुनाव हारा, वो सारे हँसे
ये बात अजब 'मत'वाली है
समझने वाले समझ गए हैं
ना समझे वो अनाड़ी है
चाँदी सी चमकती राहें
वो देखो झूम-झूम के बताए
सड़कों पे हैं वो नज़ारे
कि अरमाँ नाच-नाच लहराए
बाजे दिल के तार, गाए ये बहार
उभरे हैं 'जो' जीवन में
चमचों ने चदरिया तानी
सुनें न 'जो' को मिल रही बधाई
जो जीता वही सिकंदर
ये सीधी बात समझ में न आई
कहे हुआ फ़्रॉड, जाए कोर्ट के पास
उड़वाए मज़ाक़ वो खुद का
(शैलेंद्र से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 11 नवम्बर 2020 । सिएटल
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