ऐ परवरदिगार तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस वोट की इंतिहा क्या है
कोई बेताब कोई गिने धीरे-धीरे
या इलाही ये माजरा क्या है
मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है
छ: जनवरी तक की है मोहलत
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
ये परी-चेहरा लोग कैसे हैं
झूठ, फ़रेब और दगा क्या है
शिकन-ए-पेशानी-ए-दुनिया क्यूँ है
निगह-ए-चश्म-ए-अचम्भा क्या है
जज-वकील कहाँ से आए हैं
न्याय क्या चीज़ है बजा क्या है
हम को उन से सच की है उम्मीद
जो नहीं जानते घटा क्या है
हाँ भला कर तिरा भला होगा
जिसने कहा ये कहा क्या है
हार कर अब विचार करता हूँ
इस चुनाव से मिला क्या है
मैंने माना कि कुछ नहीं 'राहुल'
पेरोडी बन जाए तो बुरा क्या है
(ग़ालिब से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 4 नवम्बर 2020 । सिएटल
https://youtu.be/DC4QmMfXKHM
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