सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
इस चुनाव से हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है
चुनाव है तो चुनने का बहाना कोई ढूँढे
पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सा क्यूँ है
भेड़ चाल की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
ता-हद्द-ए-नज़र एक उफ़ान सा क्यूँ है
क्या कोई नई बात नज़र आती है फल में
जो बोया वही पाया हैरान सा क्यूँ है
(शहरयार से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 2 नवम्बर 2020 । सिएटल
रफ़ीक = दोस्त
https://youtu.be/XwtzYGxSWl0
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