Saturday, November 7, 2020

वरना जीती हुई बाज़ी तो न हारे होते


वोट होते न ख़फ़ा 

आप हमारे होते

और न ग़ैरों की तरह 

आज नकारे होते


आपके चरित्र में पहले ही से न कोई दम है

और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है

वरना जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते


हम पक गए हैं किसी को बता भी न सके

सामने जाम था और जाम उठा भी न सके

काश चारों ओर लगे न ये नारे होते


दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं

तुम से क्या हम तो सिस्टम से भी शर्मिन्दा हैं

हट ही जाते जो न वकीलों के सहारे होते


(इंदीवर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2020 । सिएटल

 https://youtu.be/DlBce2EKazc 


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