ये चुनाव है, इस चुनाव का
यही है, यही है, यही है रंग रूप
थोड़े ख़ुश हैं, थोड़े दुखिया
यही है, यही है, यही है छाँव धूप
ये न सोचो इसमें अपनी हार है कि जीत है
उसे अपना लेना जो भी जाता जीत है
ये ज़िद छोड़ो, यूँ ना रूठो, हर नेता इक इंसान है
गुण से ना कौशल से काम से न काज से
वोटों की भीड़ जुटी न नेता के प्रचार से
कोई जीते, कोई हारे। ये ऐसा सिस्टम है
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 4 नवम्बर 2020 । सिएटल
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