मुझे चश्मा लगा
उसे भूख लगी
मेरे दीप जलें
उसके पास
चूल्हा तक नहीं
घड़ियों की तो गिनती ही क्या
मेरे पास
चार गाड़ियाँ हैं
छ: आईफ़ोन हैं
पाँच टीवी हैं
दो ऐलेक्सा हैं
चार बेडरूम का
एक दो मंज़िला
घर है
ज़मीन है
जेवरात हैं
विषमताओं का
मैं
शोक मनाऊँ कि जश्न?
जीवन
कोई भूगोल नहीं
कि
यहाँ से चलें
और वहाँ पहुँच गए
जीवन
एक बेहतर कल की
उम्मीद की
कल-कल है
राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2020 । सिएटल
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1 comments:
सत्य है।
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