Saturday, November 14, 2020

मुझे चश्मा लगा

मुझे चश्मा लगा

उसे भूख लगी


मेरे दीप जलें

उसके पास 

चूल्हा तक नहीं 


घड़ियों की तो गिनती ही क्या

मेरे पास

चार गाड़ियाँ हैं

छ: आईफ़ोन हैं 

पाँच टीवी हैं 

दो ऐलेक्सा हैं

चार बेडरूम का 

एक दो मंज़िला 

घर है

ज़मीन है

जेवरात हैं 


विषमताओं का 

मैं 

शोक मनाऊँ कि जश्न?


जीवन

कोई भूगोल नहीं 

कि

यहाँ से चलें 

और वहाँ पहुँच गए


जीवन

एक बेहतर कल की 

उम्मीद की

कल-कल है


राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2020 । सिएटल 

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