तेरे जार में रोज़ कटता मेरा हाथ है
तेरे प्यार में
निकालने जाता हूँ
नानखटाई
और
कट जाता मेरा हाथ है
——
मेरा अपना ख़ून
मुझसे कुछ नहीं कहता
जब तक निकाल के न रख दूँ
किसी औज़ार से जुड़ी
पत्ती पर
और पढ़ूँ
कोई नम्बर
सौ से कम तो ख़ुश
ज़्यादा तो दुखी
वो नहीं
मैं
वह भी
डॉक्टर के कहने पर
किस काम के
ये ज्ञान
ये डॉक्टर
ये औज़ार
जो
हँसते-खेलते इंसान को
दुखी कर दें?
लम्बी उम्र जीने के लिए
दो पल के सुख से रोक दें
कल के लिए
आज बलि कर दें
——
तेरे जार में
तेरे प्यार में
रोज़ कटता मेरा हाथ है
राहुल उपाध्याय । 12 नवम्बर 2020 । सिएटल
2 comments:
वाह
सुंदर रचना
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