Sunday, November 8, 2020

चुनाव जायज़ है

चुनाव जायज़ है नहीं मनमानी

हर बार की यही है कहानी

फिर भी हारा हुआ हार न माने

कहे हुई है बड़ी छेड़खानी 


नादां की नहीं रवानी है ये

मौज नहीं आनी जानी है ये

कोई जीते कोई हार जाए

एक परम्परा पुरानी है ये

हर उम्मीदवार को मिलता है मौक़ा 

पार कश्ती ये कैसे लगानी


चार साल का ये राज था

करना था जो भी काम था

उम्र भर के लिए ये पद 

न मिला न मिलना आज था

जान कर भी है अन्जान बनते

और क्या होगी बोलो नादानी


वोट के बिन गुज़ारा नहीं

और कोई सहारा नहीं

तुम तो मेहमान हो इस घर के

ये तुम्हारा तुम्हारा नहीं

कैसा शिक़वा है कैसी शिकायत

क्यूँ हकीकत से आँखें चुरानी


प्यार हो, प्रेम हो, सद्भाव हो

सबके विकास का भी भाव हो

इस सफर के लिए है बहुत

दिल नेक और साफ़ हो

फिर तो जन्नत से बढ़कर राजनीति 

और खुशियों से भरी राजधानी 


(विश्वेश्वर शर्मा से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 नवम्बर 2020 । सिएटल


 https://youtu.be/Kh7CqEcO3tE 


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