Monday, November 2, 2020

मंत्र जाप

आज खाना बनाया

मगर लगा जैसे आँच में कोई कमी हो


आज खाना खाया

मगर लगा जैसे नमक ठीक से नहीं मिला हो


आज कपड़े धोए-सुखाए-तह किए

मगर लगा जैसे कहीं-कहीं से सूखे नहीं 


तुमसे बातें करते-करते 

हँसते-खेलते सारी गृहस्थी निपट जाती थी

जैसे कोई पुजारी मंत्र जाप करते-करते

पहनाता है वस्त्र

चढ़ाता है पुष्प 

लगाता है भोग 


जानता हूँ 

जिस स्क्रीन को मै छू रहा हूँ इधर से 

तुम छू रहीं हो उसे उधर से

लेकिन तुम भी चुप

मैं भी चुप


लेकिन 

क्या सचमुच?


राहुल उपाध्याय । 2 नवम्बर 2020 । सिएटल 


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