Friday, November 18, 2022

ख़ाक में मिल कर फ़ना सब हो गए

ख़ाक में मिल कर फ़ना सब हो गए

बादशाह और पीर सारे रो रहे


आग पे पा ली विजय है आपने

हाथ से रोका प्रलय है आपने

फिर परास्त मौत से क्यूँ हो गए


जाल बुनकर जाल से है कौन बचा

जाल में अपने ही ख़ुद आदमी फँसा 

ख़ुद ही मौत के सामाँ हो गए


आग में पानी नहीं है, मान लो

मौत से लड़ना नहीं है, छोड़ दो

कहते-कहते तुमको बरसों हो गए


राहुल उपाध्याय । 18 नवम्बर 2022 । सिएटल 


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