Friday, November 4, 2022

आज मेरा जन्मदिन है

आज मेरा जन्मदिन है 

और इतने तोहफ़े मिले कि

मन ख़ुशी से सराबोर है


इसने भी फ़ोन किया

उसने भी फ़ोन किया

एक का तो फ़ोन मैं ले भी नहीं पाया

और उसका तो टेक्सट भी आ गया 

जिससे मेरा दूर-दूर का वास्ता नहीं


टेक्सट आ गया है 

नूर आ गया है 

नहीं तो

चराग़ों से लौ जा रही थी


ये फ़ोन 

ये टेक्स्ट

जन्मदिन के नहीं थे

उन्हें तो पता भी नहीं 

कि कब है 


बस यूँही 

फ़ोन आते रहे

दिल लुभाते रहे

हम बतियाते रहे


इनसे बड़ा उपहार 

और क्या हो सकता है 

कि किसी का मन 

बिना बात के

बात करने को चाहे


राहुल उपाध्याय । देवोत्थानी एकादशी, सम्वत् 2079 । सिएटल 








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