वज़न तोलते हैं
कि ग़म घोलते हैं
अपनी ही टांग हम
ख़ुद तोड़ते हैं
नहीं खाओ रोटी
बढ़ न जाए चर्बी
न जाने किस किससे
मुँह मोड़ते हैं
नहीं खाओ चीनी
हटाओ सारी बर्फ़ी
त्योहार आदि पे भी
दुख ओढ़ते हैं
अगर खाओ हल्दी
नहीं होगी सर्दी
जड़ी-बूटी आदि पे
सर फोड़ते हैं
उठ जाओ पाँच बजे
करो योग ध्यान से
नियमों के पीछे हम
नींद छोड़ते हैं
अब और न कहना
एहसान ये करना
आपके आगे अब
हाथ जोड़ते हैं
राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2022 । सिएटल
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