वे साईकल से कार तक आ गए
हम कार से कार तक ही रह गए
वे कच्चे घर से पक्के घर आ गए
हम पक्के से पक्के तक ही रह गए
वे चूल्हे से गैस पर आ गए
हम गैस के गैस पर ही रह गए
हम सुखी हैं
वे ज़्यादा सुखी हैं
राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2022 । सिएटल
वे साईकल से कार तक आ गए
हम कार से कार तक ही रह गए
वे कच्चे घर से पक्के घर आ गए
हम पक्के से पक्के तक ही रह गए
वे चूल्हे से गैस पर आ गए
हम गैस के गैस पर ही रह गए
हम सुखी हैं
वे ज़्यादा सुखी हैं
राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2022 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:28 AM
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2 comments:
क्या ब्बात है जनाब!
गज़ब मापदंड सटीक अर्थयुक्त।
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