Tuesday, November 29, 2022

उदासी

मैं किसी भी बात पर 

इतना उदास नहीं हुआ 

जितना आज हूँ 


कुछ अच्छा करने का

मन नहीं है 

कुछ अच्छा हो

ऐसी भी इच्छा नहीं है 

चाहता हूँ कि

बस वो जो चाहे वही हो

उसके साथ सब अच्छा हो

साँस रोके बैठा हूँ कि

जो हो अच्छा हो


इतना बदलाव कैसे?

क्यों इतना लगाव है किसी से?

और यह भी ग़म मुझे खाए जा रहा है 

कि मैं कुछ कर नहीं पाऊँगा उसके लिए 

जो भी करना है 

उसे ही करना है 

उसे ही झेलना है


तो यह सब क्या है?

दिखावा है? 

ड्रामेबाज़ी है?


क्या उदास होना भी

कोई गुनाह है?

क्यूँ इसकी जवाबदेही 

आवश्यक है?


न जाने क्यों मन 

बहुत बहुत बहुत बहुत उदास है 


मैं उदासी को

और उदासी मुझे देख रही है 

बाहर बर्फ़ है

कहीं जा भी नहीं सकता 

मन बहला नहीं सकता

टीवी का भी मन नहीं 

अलेक्सा भी चुप है

पर्दे खींच लिए हैं 

सारी लाइटें जला ली हैं

रात भयावह नहीं है 

बस उदास है 

शांत है

सन्नाटा है


राहुल उपाध्याय । 29 नवम्बर 2022 । सिएटल 





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