Saturday, September 14, 2013

आता है तो लाल

आता है तो लाल
जाता है तो लाल
वैसे ही
जैसे
मानव
शिशु-अवस्था में
आता है तो लाल
हो के लहूलुहान
और
प्रौढ़ावस्था में
जाता है तो लाल
चिता की लौ में हो के अंतर्ध्यान


हम सब जानते हैं कि
सूरज
न उगता है
न डूबता है
सदा
प्रकाशमान रहता है


वैसे ही
शिशु भी
न जन्मता है
न मरता है
सिर्फ़
चोला बदलता रहता है


इस
मायावी मंच पे
पर्दा कभी उठता है
तो पर्दा कभी गिरता है


14 सितम्बर 2013
सिएटल ।
513-341-6798

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

Anonymous said...

इस philosophical कविता में आपने गीता में लिखी बात - आत्मा न जन्म लेती है न मरती है - बहुत आसान शब्द और example use करके कही है। यह केवल physical reality है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु भी निश्चित होती है। अगर गहराई में समझें तो start और end , जन्म और मृत्यु, केवल बाहर दिखाई देने वाले बदलाव हैं - सच तो यह है कि जो आज है वो कल भी था और आगे भी हमेशा रहेगा।

[पहली lines में जब आपने लिखा कि शिशु जन्म के समय लाल होता है तो मन में आया कि मृत्यु के समय तो इंसान लाल नहीं होता लेकिन जब आगे पढ़ा तो चिता की लौ के लाल रंग की बात पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा! :) ]