Saturday, September 21, 2013

कितना क्यूट है

कितना क्यूट है
किसी लता का
किसी पेड़ पर चढ़ जाना
उससे लिपट जाना


उसके खुरदुरे तन को
अपने सुकोमल पत्तों से
ढक देना
सजा देना
हरा-भरा कर देना


लेकिन
यह तो बस
पेड़ ही जानता है कि
वो
अंदर ही अंदर
घुट रहा है
टूट रहा है
सूख रहा है
मिट रहा है


लता मरती नहीं
सदा हरी-भरी रहती है
एक के मिटने के बाद
दूजे पे
एक नागिन की तरह रेंगती हुई
चढ़ जाती है


कितना क्रूर है
किसी लता का
किसी पेड़ पर चढ़ जाना


------------
आजकल इंसान पेड़ बचाने में
और लताएँ मिटाने में लगा हुआ है


एक दिन पेड़ ही पेड़ रह जाएंगे
एक दूसरे के आड़े आएंगे
लड़-झगड़ कर मिट जाएंगे
दावनल में खप जाएंगे
प्रकाश के अभाव में उजड़ जाएंगे


-------
ईश्वर की सत्ता में
सबका अपना-अपना स्थान है
फिर भी इंसान है कि
करता काम उटपटांग है


पेड़-पौधों तक में
करता भेदभाव है


यह देसी है ये विदेशी है
विदेशी को उखाड़ फ़ेंको
वरना देसी को खा जाएगा


और
आरक्षण
संरक्षण
जातीय सफ़ाई
की सफ़ाई देने लग जाता है


21 सितम्बर 2013
सिएटल ।
513-341-6798

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4 comments:

Admin said...

बेहद उम्दा

Admin said...

बेहद उम्दा

Anonymous said...

एक अलग और गहरी सोच है इस कविता में। पेड़ पर लिपटी हुई लता हमें सुन्दर लगती है मगर एक पेड़ की नज़र से देखें तो यह लिपटना क्रूर भी हो सकता है।

कविता के पहले भाग से दुसरे भाग का transition बहुत अच्छा लगा! लता का लिपटना दुःख देने वाला हो सकता है मगर क्या उसका मिट जाना सही होगा?

और फिर अंत में यह बात कि "ईश्वर की सत्ता में सबका अपना-अपना स्थान है" कितनी सच्ची है! लेकिन हमारी understanding बहुत narrow है इसलिए कई बार हम यह बात समझ नहीं पाते।

Anonymous said...

एक और बात: हिंदी की कविता में "क्यूट" शब्द का use होना बहुत cute लगा! :)