हम मिस वर्ल्ड हुए
हमें चैन न मिला
हम मिस यूनिवर्स हुए
हमें चैन न मिला
आज मिस अमेरिका हुए हैं
तो क्या सचमुच करार मिल गया?
मिस इंग्लैण्ड कब बनेंगे?
अमेरिका में तो हमारा आना-जाना कुछ ही वर्षों का है
इंग्लैण्ड में तो हम सदियों से बसे हैं
जिनके हम गुलाम रहे हैं
जब वो खिताब देंगे
तो क्या हम फूले न समाएंगे?
ये बात-बात पर
इण्डो-इण्डो करना
कभी खुद को
इनसे बेहतर
तो कभी इनके बराबर
कहना
इस मानसिकता से
हमें कब मुक्ति मिलेगी?
हम इंसान है
तो क्यों नहीं
इंसान की तरह
रह सकते हैं
क्या ज़रूरी है
बार-बार अपनी जड़ें टटोलना
और औरों से कहना
कि देखो मैं तुमसे कितना अलग हूँ
और फिर भी तुमसे बेहतर हूँ
या तुम जैसा ही हूँ
मुझे स्वीकार करो
मुझे अपना लो
कोई भेद न करो
(पहले हम
इंजीनियर-डॉक्टर बनकर
खुश हो लेते थे
तो कभी सितार बजाकर
तो कभी अंतरिक्ष जाकर
तो कभी नोबल पुरुस्कार पाकर
अब
बत्तीसी चमकाना
और
कमर मटकाना भी
इनमें शामिल हो गया है)
17 सितम्बर 2013
सिएटल । 513-341-6798
हमें चैन न मिला
हम मिस यूनिवर्स हुए
हमें चैन न मिला
आज मिस अमेरिका हुए हैं
तो क्या सचमुच करार मिल गया?
मिस इंग्लैण्ड कब बनेंगे?
अमेरिका में तो हमारा आना-जाना कुछ ही वर्षों का है
इंग्लैण्ड में तो हम सदियों से बसे हैं
जिनके हम गुलाम रहे हैं
जब वो खिताब देंगे
तो क्या हम फूले न समाएंगे?
ये बात-बात पर
इण्डो-इण्डो करना
कभी खुद को
इनसे बेहतर
तो कभी इनके बराबर
कहना
इस मानसिकता से
हमें कब मुक्ति मिलेगी?
हम इंसान है
तो क्यों नहीं
इंसान की तरह
रह सकते हैं
क्या ज़रूरी है
बार-बार अपनी जड़ें टटोलना
और औरों से कहना
कि देखो मैं तुमसे कितना अलग हूँ
और फिर भी तुमसे बेहतर हूँ
या तुम जैसा ही हूँ
मुझे स्वीकार करो
मुझे अपना लो
कोई भेद न करो
(पहले हम
इंजीनियर-डॉक्टर बनकर
खुश हो लेते थे
तो कभी सितार बजाकर
तो कभी अंतरिक्ष जाकर
तो कभी नोबल पुरुस्कार पाकर
अब
बत्तीसी चमकाना
और
कमर मटकाना भी
इनमें शामिल हो गया है)
17 सितम्बर 2013
सिएटल । 513-341-6798
2 comments:
Laajawaaab... :)
कविता की यह line मुझे बहुत अच्छी लगी:
"हम इंसान है
तो क्यों नहीं
इंसान की तरह
रह सकते हैं"
किसी की विजय से ख़ुशी होना natural है। लेकिन अगर हम उस कामयाबी से अपने आप को, अपनी family को, अपने धर्म, जाति, देश या शहर को दूसरों से superior सोचने लगें और दूसरों को नीचा समझने लगें, उनका अनादर करने लगें तो वो खुशी genuine नहीं होती। आपने सही कहा है कि हम achievements compare करके ही खुश क्यों होते हैं, दूसरों से इंसान की तरह क्यों नहीं जुड पाते हैं?
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