Tuesday, August 2, 2016

Marriage Counselor


चलो मिलाऊँ तुम्हें सब्ज़बाग़ों से
सच्चाई से परे शीरीं ख़्वाबों से

अब जो भी होगा सब अच्छा ही होगा
दर्शन बरसाऊँ ऐसी बातों से

जनम-जनम का साथ है तुम्हारा-तुम्हारा
आस बँधाऊँ ऐसे गानों से 

कड़वे वचन न अब कोई बोलेगा
वादे करवाऊँ लड़ने वालों से

ख़ुद के जीवन का कोई ठिकाना नहीं
मार्गदर्शन कर रहा हूँ कई सालों से

राहुल उपाध्याय | 2 अगस्त 2016 | सिएटल 
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सब्ज़बाग़ = काल्पनिक हरियाली 
शीरीं = मीठी 







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