Wednesday, October 5, 2016

पास पोर्ट हो

पास पोर्ट हो

फिर भी पासपोर्ट चाहिए


ये जो सीमाएँ हैं

अदृश्य रेखाएँ हैं

जो कहने को तो अभेद्य हैं

पर खींची गई हैं

मुझसे-तुमसे

राजनेताओं से

पा सपोर्ट 


हर दीवार

एक वार है 

उस पर

जो

उस पार है


हर वार

एक दीवार पैदा करता है


हर दीवार

एक नई दीवार पैदा करती है


दीवारों के जंगल में 

हम सुरक्षित महसूस करते हैं

और साथ ही साथ

हो जाते हैं वंचित

सौहार्द से

सहयोग से

सहभागीदारिता से


ताज का मोह

ऐसा ही होता है

मोहताज तो करेगा ही


पास पोर्ट है

फिर भी पासपोर्ट चाहिए


5 अक्टूबर 2016

सिएटल | 425-445-0827


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