पास पोर्ट हो
फिर भी पासपोर्ट चाहिए
ये जो सीमाएँ हैं
अदृश्य रेखाएँ हैं
जो कहने को तो अभेद्य हैं
पर खींची गई हैं
मुझसे-तुमसे
राजनेताओं से
पा सपोर्ट
हर दीवार
एक वार है
उस पर
जो
उस पार है
हर वार
एक दीवार पैदा करता है
हर दीवार
एक नई दीवार पैदा करती है
दीवारों के जंगल में
हम सुरक्षित महसूस करते हैं
और साथ ही साथ
हो जाते हैं वंचित
सौहार्द से
सहयोग से
सहभागीदारिता से
ताज का मोह
ऐसा ही होता है
मोहताज तो करेगा ही
पास पोर्ट है
फिर भी पासपोर्ट चाहिए
5 अक्टूबर 2016
सिएटल | 425-445-0827
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