Thursday, May 20, 2021

ज़िन्दगी की दवा पा गए


https://youtu.be/eTI-ADPXVDk 


ख़तरों से घिर के भी हम

ज़िन्दगी की दवा पा गए

हमने सोचा नहीं था कभी

पा गए, पा गए, पा गए


हम थे ऐसे भँवर में फँसे

जिसकी कोई भी मंजिल न थी

हम थे दिन के अंधेरों में गुम

रात तो राख से काली थी

कोई राह जब मिली न हमें

जाने क्या-क्या ख़याल आ गए


सोचो हम कितने मज़बूर थे

करने वाले भला कर गए

पीछे मुड़ के जो देखा ज़रा

रंग वे नायाब से भर गए

क़ुर्बां खुद वे हुए तो हुए

दान जीवन का बरसा गए


राहुल उपाध्याय । 20 मई 2021 । सिएटल 

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