Saturday, August 24, 2024

जलेबी

जलेबी हो और मीठी न हो 

हलवा हो और घी न हो

ऐसी ज़िंदगी किस काम की 

जिस ज़िन्दगी में तुम ही न हो


हम लड़ें, मरें, कुछ भी करें

पर रहें दूर यह कभी न हो 


सदाचार, नवाचार सब बेकार हैं

इश्क़ हो तो हैवानगी न हो 


ताज है पर ताज़गी नहीं 

कब तक तके? 

जिसकी सूरत बदलती न हो


न मेरी गलती है

न तुम्हारी 

गलेगी कैसे जब सीटी न हो


राहुल उपाध्याय । 24 अगस्त 2024 । होल्ट (जर्मनी)




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