Sunday, February 10, 2008

पहेली 11


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

ये आ गया एक बार
तो फिर जाता नहीं
ये टूट जाता है
तो फिर जुड़ता नहीं
इसे फेंकते हैं लोग
पर कोई लपकता नहीं

हल्का भी है
और भारी भी
छोटा भी है
और बड़ा भी

हल्के से राहत है
भारी से दु:ख
छोटे से परेशानी है
बड़े से सुख

आए दिन सुनने में आते हैं
इसके दौरे मुझे
पर ठीक से अभी तक नहीं
मिले ब्यौरे मुझे

न किसी से मिला
कोई यात्रा वृत्तांत
न किसी ने दिखाया
कोई 'स्लाईड शो'
भई, ऐसा भी क्या दौरा
जिसका कोई एक फोटो तक न हो?

दौरे के बाद
इतने भयभीत हो जाते हैं लोग
कि सब कुछ छोड़ के
अपनाने लग जाते हैं योग

अकलमंद नहीं मंदअकल समझे जाएगे आप
उत्तर देने में ज्यादा देर यदि लगाएगे आप
[इस पहेली का हल अंतिम पंक्ति में छुपा हुआ है। ध्यान से देखे तो साफ़ नज़र आ जाएगा। उदाहरण के तौर पर देखे 'पहेली 1'
आप चाहे तो इसका हल comments द्वारा यहां लिख दे। या फिर मुझे email कर दे इस पते पर - upadhyaya@yahoo.com
]

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4 comments:

Unknown said...

DIL

Observer said...

DIL

Anonymous said...

dil

getting easier by the min :)

सुनीता शानू said...

हा हा हा दिल भाईजान...