कभी किसी को मुक़म्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
जिसे भी देखिए वो अपने हाल में गुम है
कार मिली है मगर कारपूल नहीं मिलता
तेरे जहां में ऐसा नहीं कि जॉब न हो
कहीं 'सेलरी' तो कहीं 'टाईटल' नहीं मिलता
हुआ है भारत छोड़ो आंदोलन अब कामयाब
मेरे वतन में एक भी होनहार नौजवां नहीं मिलता
अमेरिका में है हर चीज हासिल
मगर आसानी से आशियां नहीं मिलता
दुनिया है आज कम्प्यूटर के दम से
रह जाता दफ़्तरों में ही 'गर चूहा नहीं मिलता
उखाड़ देते हैं कुदरती हरियाली को
मनचाहा बाग बनाने वाला बागबां नहीं मिलता
उनको मिले ख़ुदा जिन्हे हैं ख़ुदा की तलाश
मुझे तो किसी भी मंदिर में मेरा जूता नहीं मिलता
कहता है ज़माना कि राहुल हो गया पागल
मस्जिद में भगवान और मंदिर में ख़ुदा नहीं मिलता
एक निर्दोष स्वर्ण हिरण को मारने वाले के अलावा
मेरी शाकाहारी माँ को भी पूजने के लिए दूजा नहीं मिलता
गाँधी ने पूजा क़ातिल को, माँ ने पूजा शिकारी को
नेता तो दूर यहाँ तो ढंग का देवता नहीं मिलता
रात के बाद सुबह की ये रीत मुझे रास न आई
न होती सुबह तो सपना टूटा नहीं मिलता
सारे दिन शाम का इंतज़ार किया
भरी दोपहर तो सुबह का भूला नहीं मिलता
रह जाती मेरी रचना गुमनामी में
आप कदरदानों का 'गर सहारा नहीं मिलता
(निदा फ़ाज़ली से क्षमायाचना सहित)
2 comments:
rah jaate sabke khayaal bhi prose mein, agar logon ko aap jaisa talented kavi nahin milta
bahut sundar rahul ji.
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