अमावस की रातें
पूनम की रातें
कृष्णपक्ष की बातें
शुक्लपक्ष की बातें
रह गई हैं बस किताबी बातें
24/7 ज़िन्दगी की हैं ये निराली सौगातें
आज का देवता है google
जो सब देता है उगल
बस एक कम्प्यूटर लीजिए
और सब कुछ जान लीजिए
आप बात करते हैं कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की?
इन्हें तो खबर हैं धरती और चांद के पग पग की
सूरज उगता है
सूरज डूबता है
इन सब बातो से
आज मन उबता है
ये सब हैं घिसे-पीटे मुहावरे
आज का ज़माना है revolutionary
पहली बात तो धरती घूमती है
और सूरज रहता है stationary
पूरब का ध्यान-ज्ञान
पश्चिम की रंगीली रातें
ये सब हो गई हैं पुरानी बाते
World is flat की है ये निराली सौगातें
Tuesday, February 5, 2008
24/7
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:12 AM
आपका क्या कहना है??
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Labels: digital age
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1 comments:
Kitna achha kaha aapne, Rahul, aaj ki machine jaisi life ke baare mein.
Google ki baat se mujhe aapki kavita "Hum Sab Ek Hain" yaad ayee. "Internet pe mil jati hain duniya ki khabrein, tv ki raah mein takta nahin; Jo Chahta hun mil jata hai mujhe, kisi ki raah mein takta nahin; Kisi ki raah main takta nahin, koi raah meri bhi takta nahin..."
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