एवरेस्ट पर ये आज तक चढ़ी नहीं हैं
युद्ध में भी ये आज तक लड़ी नहीं हैं
पहनती भी ये साड़ी-चूड़ी नहीं हैं
दिखने में भी लगती बूढ़ी नहीं हैं
जिस बात से अच्छी खासी शादी टूट जाती है
जिस बात से बसी बसाई गृहस्थी लूट जाती है
उसी बात को इन्होने किया था नज़र-अंदाज़
आखिर क्यूं और क्या था इसका राज़?
क्यूंकि दूर-दृष्टी से इन्होने लिया था काम
इनको तो हर कीमत पर हासिल करना था राज
छीन लेती अगर पति से समर्थन ये अपना
पार्टी का समर्थन बस रह जाता एक सपना
जल्दी दे दे उत्तर जो सही सही है
ये आज यहां तो कल और कहीं हैं
एक जगह कहीं भी ये रुकती नहीं हैं
इन दिनों जब भी नज़र आती हैं तो छवि सब जगह बस यहीं है
मुस्काराती जाए और हाथ हिले, रीत भी तो वैसे बिलकुल यहीं है
[इस पहेली का हल अंतिम पंक्ति में छुपा हुआ है। ध्यान से देखे तो साफ़ नज़र आ जाएगा। उदाहरण के तौर पर देखे 'पहेली 1'. आप चाहे तो इसका हल comments द्वारा यहां लिख दे। या फिर मुझे email कर दे इस पते पर - upadhyaya@yahoo.com ]
Tuesday, February 12, 2008
पहेली 15
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:40 AM
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4 comments:
विशाल:
थोडा मुशकिल था, पर मुझे लगता है ..
हिलेरी
हाँ...
हिलेरी
Saari riddles bahut achhi lagin, Rahul. Ek taraf har riddle mein sundar poetry hai aur doosri taraf ek sawaal aur jawaab. Ek dum unique combination...
ओ बामांग आने के बजाइ उसी से लड़ी है
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