Wednesday, February 27, 2008

आए-जाए


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

जब कभी आग लग जाए
और इंसान जल-जला जाए
तो वो हाय-हाय करता है

जब कभी बाढ़ आए
या जलजला आए
तो भी वो हाय-हाय करता है

जलजला आए
या जल-जला जाए
हर सूरत में इंसान हाय-हाय करता है

और अगर कोई न आए और न जाए
तो इंसान अकेलेपन से घबराता है

निष्कर्ष यहीं निकला कि
चाहे कुछ भी हो जाए
इंसान की फ़ितरत ही ऐसी है कि
वह हर सूरत में हाय-हाय करता है

सिएटल,
27 फ़रवरी 2008

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1 comments:

रिपुदमन पचौरी said...

हाँ, बात एक दम सही है.....
पर प्यार से भी तो हाय हाय करते ही हैं न ?
:)