ये कटती है पर जुड़ती नहीं
ये चढ़ती है पर उतरती नहीं
ये जमती है पर पिघलती नहीं
ये बहती हैं पर रूकती नहीं
अंदर बाहर एक ही है नाम
कुछ देते हैं इसे घी का नाम
मेरे पहेली ने शायद भर दिया इसमें दम
दूसरों का ज्यादा दिखता है अपना कम
[इस पहेली का हल अंतिम पंक्ति में छुपा हुआ है। ध्यान से देखे तो साफ़ नज़र आ जाएगा। उदाहरण के तौर पर देखे 'पहेली 1'
आप चाहे तो इसका हल comments द्वारा यहां लिख दे। या फिर मुझे email कर दे इस पते पर - upadhyaya@yahoo.com ]
Saturday, February 9, 2008
पहेली 9
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:20 AM
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5 comments:
NAK
naak
NAAK
naak!
behti hai aur rukti bhi hai yaar!
Naak.
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