Monday, February 18, 2008

स्वामी के दीवाने


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

हर तरफ़ अब यहीं अफ़साने हैं
सब किसी न किसी स्वामी के दीवाने हैं

इतनी बेवकूफ़ी भरी हैं इंसानों में
कि पढ़े-लिखे भी गधे हो जाए
स्वामीजी जो नज़र आ जाए चैनल पर
तो पांच बजे भी उठ के खड़े हो जाए
छोटे-बड़े सब लगते दुम हिलाने हैं
हर तरफ़ अब यहीं अफ़साने हैं
सब किसी न किसी स्वामी के दीवाने हैं

इक हल्का सा इशारा इनका
किसी भी रोगी को चंगा कर दे
इस तरह की आस के बदले में
जो जान और माल फ़िदा कर दे
ऐसे भक्त इन्हे और फ़ंसाने हैं
हर तरफ़ अब यहीं अफ़साने हैं
सब किसी न किसी स्वामी के दीवाने हैं

कभी लंदन तो कभी अमरीका
नहीं ढाका या फिर अफ़्रीका
सिर्फ़ रईसो को भक्त बनाते हैं
आलिशान होटलों में शिविर लगाते हैं
और दावा ये कि गीता के श्लोक समझाने हैं
हर तरफ़ अब यहीं अफ़साने हैं
सब किसी न किसी स्वामी के दीवाने हैं

(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित)

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4 comments:

eSwami said...

:)

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब, इन स्वामियो की कितनी भी पोल खोल दो, वेबकुफ़ो को कभी भी अकल नही आ सकती

aasa60 said...

wah kya baat hai yah aaj pakhandon per hamla hai

Anonymous said...

Ha ha ha!!!!!! :)