Sunday, June 29, 2008

वापसी

देश छोड़ कर
विदेश आना
बहुत आसान था

सब की शुभकामनाएं जो मेरे साथ थी
माँ-बाप-भाई-बहन की दुआएं मेरे साथ थी

खुद की काबिलियत पर भरोसा था
हाथों में शक्ति और मन में हौसला था
स्वर्ग सा सुंदर लगता था स्टूडियो
जबकि मुड़ कर देखो तो महज घोंसला था

जहाँ रूकता था अच्छा लगता था
जो मिलता था अच्छा लगता था
जबकि न किसी को जानता था
न किसी को पहचानता था

देश छोड़ कर
विदेश आना
बहुत आसान था

आज वापस लौट कर
अपने ही घर जाना
बहुत मुश्किल है

वो मेरे परिचित
जिन्होंने मुझे शुभकामनाएं दी थी
आज उनकी आँखों में प्रश्न होगें

वो मेरे अपने
जिन्होंने मुझे दुआएं दी थी
आज उनके सपने दफ़्न होगें

बोतल से प्याले में
शराब उड़ेलना जितना आसान है
प्याले से बोतल में
डालना उतना ही मुश्किल है

बोतल खोलना
प्याले भरना
स्वाभाविक है
अपेक्षित है
एक जश्न है

वापस पलट देना
एक ऐसा प्रश्न है
जिसका उत्तर न कोई मांगता है
और न ही दिया जा सकता है

बहुत किया विचार विमर्ष
तब निकला ये निष्कर्ष
बहता है जीवन जैसे बहे रिवर्स
चले फ़ॉरवर्ड नहीं चले रिवर्स

जो बीत गया सो बीत गया
जो जीत गया सो जीत गया
जो पार गया सो पार गया
जो हार गया सो हार गया

देश छोड़ कर
विदेश आना
बहुत आसान था

आज वापस लौट कर
अपने ही घर जाना
बहुत मुश्किल है

सिएटल,
29 जून 2008
=================
दफ़्न = दफ़न, buried
स्वाभाविक = natural
अपेक्षित = expected
जश्न = celebration
निष्कर्ष = result
रिवर्स = rivers, reverse

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2 comments:

Udan Tashtari said...

क्या बात कह दी आपने!!

मैं तो फिर भी पुरजोर कोशिश करुँगा कि शायद रिवर्स सक्सेसफुल हो जाये. उम्मीद कम है, प्रयास जरुर शुरु कर दिया है.

बहुत स्त्य के निकट भावाव्यक्ति. बहुत खूब इस हिम्मत और इमानदार अभिव्यक्ति के लिए.

अवनीश एस तिवारी said...

good. accha hai.