डरते-डरते भला है क्यूँ प्यार करना
कभी पाप न इसे कहना
लड़ते-मरते बस यूँही तुम प्यार से प्यार करना
कभी पाप न इसे कहना
प्यार करते-करते हम-तुम कहीं खो जाएँगे
इसी ज़माने की आँखों के काँटे हो जाएँगे
झगड़ों से, लफड़ों से तुम दूरी बनाते रहना
कभी पाप न इसे कहना
जी-जान से दिलबर जुट जाए जो हम अगर
बवाल नहीं कोई जिसे कर दें हम बे-असर
अश्कों को, आहों को तुम यूँही मिटाते रहना
कभी पाप न इसे कहना
राहुल उपाध्याय । 18 मार्च 2022 । पोर्टलैंड
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