ज़िन्दगी से खूबसूरत कोई कहानी नहीं
बुढ़ापे के प्यार से बढ़कर कोई जवानी नहीं
वो लैला की बातें, वो मजनूँ के क़िस्से
सोचा न था आएँगे मेरे भी हिस्से
वो रातों को जागना, वो दिल का फुदकना
देख उनका फ़ोटो बल्लियों उछलना
रूठ भी जाना कि अब बात न करेंगे
और उन्हीं के फ़ोन की राह भी तकना
सोचा था डायबीटीज़ में घास-फूस ही खाएँगे
क़सम भी खाई थी कि मिठाई न खाएँगे
और उन्हीं के हाथों से लपालप मिठाई गटकना
वो होते हैं साथ तो हम न होते
यूक्रेन के बवाल पे हम न रोते
स्टॉक गिरे, तेल बढे
किसी से हम विचलित न होते
सब जन्नत लगे, और हम जन्नत के आका
दिन दहाड़े जैसे डाला हो डाका
ज़िन्दगी से खूबसूरत कोई कहानी नहीं
बुढ़ापे के प्यार से बढ़कर कोई जवानी नहीं
राहुल उपाध्याय । 8 मार्च 2022 । सिएटल
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