डरते हैं सब यहाँ सच-सच कहने से
डरते हैं सब यहाँ सच-सच सुनने से
दिल तो है बावरा
ढूँढे वो माजरा
दिल को जो मोह ले
दिल को जो बाँधता
जिस तरफ़ मिले नज़र
बस उसी को प्यार दे
कब कहाँ क्या हुआ
खोजेगा कौन यहाँ
सच भी जो हाथ लगे
बचता है वो कहाँ
अपने-अपने घाट पे
सब उसे हैं मारते
होता है बस वही
होता जो आ रहा
चलता है बस वही
चलता जो आ रहा
कौन है जो धार को
एक नई धार दे
राहुल उपाध्याय । 25 मार्च 2022 । सिएटल
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