मैं उसे जानता हूँ
वह भी मुझे जानता है
मैं कुछ ज़्यादा
वह कुछ कम
उसने मुझे अपनी किताब में स्थान दिया है
मेरा नाम नहीं लिया
पर मुझे याद किया है
उसने मेरे बारे में ज़रूर सोचा होगा
लिखते वक्त
लिखने से पहले
लिखने के बाद
प्रूफ़ रीडिंग के वक्त
प्रकाशित होने के बाद
आज
उसके दुख की खबर पा कर
मुझे बहुत दुख हुआ
मुझे अपना लगा
उसका-मेरा क़द बराबर लगा
वह मेरे क़रीब आ गया
किसी के जाने का
दुख
एक जैसा ही होता है
कम-ज़्यादा नहीं होता
आँसू
एक हो या हज़ार
आँसू होते ही दुखदायी हैं
वह भी उसकी व्हीलचैयर देख
वैसे ही रोता होगा
जैसे मैं अपनी माँ का वॉकर देख रोया था
वह भी उसकी प्लेलिस्ट को देख
वैसे ही रोता होगा
जैसे मैं अपनी माँ के दीपक देख रोया था
वह भी उसके साये को महसूस करता होगा
उसके कपड़ों में उसकी याद को संजोता होगा
उसकी चीजों को टटोलता होगा
हम दोनों
सब कुछ होते हुए भी
दुख से दूर नहीं
सब कुछ होते हुए भी
एक कमी है
यही कमी
हमें एक दूसरे से जोड़ती है
आज
उसमें और मुझमें
कोई फ़र्क़ नहीं
राहुल उपाध्याय । 1 मार्च 2022 । सिएटल
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नमन
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