तुम न होते, मैं न होता
प्यार के वादे मैं न बोता
तेरे सपने साथ न होते
याद में तेरी मैं न खोता
आते जाते मौसम सारे
मन मेरा गुलज़ार न होता
फूँक-फूंक कर मैं पाँव रखता
उड़ने का अरमान न होता
बहते जाते वक्त के धारे
ख़ुद को ख़ुद का ज्ञान न होता
दिल मेरा बस हॉफ रहता
गाता जाता पर न रोता
रशिया वाले कुछ भी करते
मुझको न नुक़सान होता
दब के रहती कुंठा 'राहुल'
ग़ज़लों में मैं पाप न धोता
राहुल उपाध्याय । 5 मार्च 2022 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment