"सत्यम् स्वयम् असत्यम्"
एतत् समाचार पठितम्
अहम् भवम् दुखितम्
हाय! गज़ब का हुआ जुलम
बिलख बिलख कर रोएँ हम
न कोई बम फ़टा, न कहीं आग लगी
बस मेरे पोर्टफ़ोलियो की वाट लगी
आतंकवादी होते तो देख लेते
कमांडों के सुपुर्द कर देते
पाकिस्तान के मत्थे हत्या मढ़ते
यू-एन में जा पर्चा पढ़ते
अमरीका-इंग्लैंड से मदद मांगते
पिछलग्गुओं की तरह तलवे चाटते
हाय! गज़ब का हुआ जुलम
बिलख बिलख कर रोएँ हम
न कोई पार्टी टूटी, न कोई सरकार गिरी
बस मेरी जमा पूंज़ी पे गाज गिरी
नेता की करतूत होती तो देख लेते
रातो-रात कुर्सी से खदेड़ देते
अगले चुनाव में मुख मोड़ लेते
लालू ललिता की फ़ेहरिश्त में जोड़ लेते
दो चार दिन दिल्ली-कलकत्ता बंद करते
और चाय की चुस्की के साथ निंदा करते
हाय! गज़ब का हुआ जुलम
बिलख बिलख कर रोएँ हम
न आंधी आई, न तूफ़ां बरसा
बस नौकरी गँवा बैठा बंदा
कुदरत का खेल होता तो देख लेते
मिलजुल के हम सब कुछ झेल लेते
मंदिर में जा पूजा करते
ईश्वर से दया की दुआ करते
कर्मों का फल इसे कहते
कुछ इस तरह इसे सहते
हाय! गज़ब का हुआ जुलम
बिलख बिलख कर रोएँ हम
न इसका दोष, न उसका दोष
किसपे निकालूँ मैं अपना रोष
ये काँटों भरा बाग मैंने सींचा था
भाई-बन्धुओं से हाथ जब खींचा था
परिजनों को नज़रअंदाज़ जब किया था
और स्टॉक्स को सारा पैसा सौंप दिया था
करोड़पति जो स्वयं को बनना था
सुखी सम्पन्न जो स्वयं को रहना था
जब तक हाथ खुद का जलता नहीं है
लाख कहो कोई समझता नहीं है
कि मेहनत-मजूरी से जो नहीं काम करेगा
वो त्राहि-त्राहि दिन-रात करेगा
बस वही सुख चैन से रह सकेगा
जो समाज परिवार का खयाल रखेगा
परिश्रम सदैव फलितम्
एतत् सर्वत्र सत्यम्
सिएटल | 425-445-0827
9 जनवरी 2008
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जुलम = ज़ुल्म; वाट लगना = भारी मुसीबत में फ़ंसना
पोर्टफ़ोलियो =portfolio; कमांडो = commando; यू-एन = United Nations
गाज = बिजली; रोष = ऐसा क्रोध जो मन में ही दबा या छिपा रहे। कुढ़न; स्टॉक्स = stocks
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3 comments:
आपकी ये बात मेरे को बहुत अच्छी लगती है
कि आप मौजूदा हालात पर लिखते हो
हम तो सिर्फ़ इश्क़ पर ही लिखते हैं… ऐसा क्यो?
एक गलती कर दी राजू भैया ने, किसी पार्टी को ज्वाइन करते और फिर साफ बरी हो जाते, हो सकता था कि किसी पार्टी से टिकट भी पा जाते.
आप ने बहुत अच्छा लिखते हैं
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