छू लेने दो मोदीजी के चरणों को
कुछ और नहीं भगवान हैं ये
भाजपा के ही नहीं ये नेता हैं
पूरे भारत की शान हैं ये
ख़बरों को पढ़ के न भ्रमित होना
इनमें कहीं कोई खोट नहीं
इन जैसा नहीं कोई दानी है
कर देते सब कुछ दान हैं ये
अच्छों को बुरा साबित करना
राहुल की पुरानी आदत है
इसकी कविता में कोई दम नहीं
कहते बड़े-बड़े विद्वान हैं ये
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
11 नवम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
कुछ और नहीं भगवान हैं ये
भाजपा के ही नहीं ये नेता हैं
पूरे भारत की शान हैं ये
ख़बरों को पढ़ के न भ्रमित होना
इनमें कहीं कोई खोट नहीं
इन जैसा नहीं कोई दानी है
कर देते सब कुछ दान हैं ये
अच्छों को बुरा साबित करना
राहुल की पुरानी आदत है
इसकी कविता में कोई दम नहीं
कहते बड़े-बड़े विद्वान हैं ये
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
11 नवम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
यह कविता पिछली कविता से opposite है! एक गाने पर दो parodies और दोनों opposite sentiments पर based हैं - very nice! आपने interesting point bataaya है कि यह ज़रूरी नहीं कि हर कविता कवि का personal viewpoint ही हो - कभी कभी कविता को सिर्फ एक creative effort की तरह ही देखना चाहिए।
यह line बहुत funny लगी "अच्छों को बुरा साबित करना, राहुल की पुरानी आदत है" :) इससे आपकी एक और कविता की end की मज़ेदार lines याद आयीं - "आपकी बातों में कोई घात छुपी है राहुलजी कहीं, सच और सोच के मिश्रण में सब सच तो लगता है!" :)
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