छू लेने दो मोदीजी को झाड़ू
कुछ और नहीं हैं नाटककार हैं ये
इन महाशय को हमने चुना है
चूना लगाने के हक़दार हैं ये
गुंडों को नेता बनाना
वोटर की पुरानी आदत है
मोदीजी को भी न संत समझ
माना कि नहीं गुनहगार हैं ये
मत पा के हुए ये मतवाले
मस्ती का नज़ारा तुम देखो
भेड़ और बकरी की टोली है
कहते जिसे सरकार हैं ये
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
9 नवम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
कुछ और नहीं हैं नाटककार हैं ये
इन महाशय को हमने चुना है
चूना लगाने के हक़दार हैं ये
गुंडों को नेता बनाना
वोटर की पुरानी आदत है
मोदीजी को भी न संत समझ
माना कि नहीं गुनहगार हैं ये
मत पा के हुए ये मतवाले
मस्ती का नज़ारा तुम देखो
भेड़ और बकरी की टोली है
कहते जिसे सरकार हैं ये
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
9 नवम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
कविता को original tune में गाने की कोशिश की तो funny लगा! मुझे लगता है कि "स्वच्छ भारत अभियान" party lines से ऊपर है - हर नागरिक को अपनी surroundings साफ़ रखनी चाहिए। कविता में "चुना" और "चूना", "मत पा के" और "मत वा ले" का use अच्छा fit हुआ है!
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