Saturday, August 24, 2024

इतवारी पहेलीः 2024/08/25


इतवारी पहेली:


जहाँ जाने से बला जाती # ##

है कोई ऐसी पाँच सितारा ###?


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 1 सितम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम




Re: इतवारी पहेली: 2024/08/18



On Sun, Aug 18, 2024 at 10:37 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


किसी की न बिगड़ी ज़िन्दगी ### ## #

जैसे ही लगाई इंदिरा जी ने ####%# 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम




जलेबी

जलेबी हो और मीठी न हो 

हलवा हो और घी न हो

ऐसी ज़िंदगी किस काम की 

जिस ज़िन्दगी में तुम ही न हो


हम लड़ें, मरें, कुछ भी करें

पर रहें दूर यह कभी न हो 


सदाचार, नवाचार सब बेकार हैं

इश्क़ हो तो हैवानगी न हो 


ताज है पर ताज़गी नहीं 

कब तक तके? 

जिसकी सूरत बदलती न हो


न मेरी गलती है

न तुम्हारी 

गलेगी कैसे जब सीटी न हो


राहुल उपाध्याय । 24 अगस्त 2024 । होल्ट (जर्मनी)




Tuesday, August 20, 2024

कोरियन ड्रामा

पहले यश चोपड़ा 

फिर करण जोहर 

अब कोरियन ड्रामा 

देखकर जवान हो रही हैं

शहर की लड़कियाँ 


तौर-तरीक़े

हाव-भाव

वेष-भूषा

सब वैसे ही ढल रहे हैं 


हर दूसरे दिन

बॉयफ़्रेंड बदल रहे हैं 

लेकिन संस्कार जस के तस हैं

राखी पर राखी अब भी बाँधी जा रही हैं

होली-जन्माष्टमी-गरबा-नवरात्रि 

सब मनाई जा रही है 


लड़कों का क्या है 

जैसे थे

वैसे ही हैं 

वही शर्ट-पैंट-हेयर स्टाइल

हाँ दाढ़ी आती-जाती रहती है


वे तो हर हाल में खुश हैं 

जब तक लड़कियाँ विकासशील हैं


राहुल उपाध्याय । 20 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम 



Sunday, August 18, 2024

इतवारी पहेली: 2024/08/18


इतवारी पहेली:


किसी की न बिगड़ी ज़िन्दगी ### ## #

जैसे ही लगाई इंदिरा जी ने ####%# 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम




Re: इतवारी पहेली: 2024/08/11



On Sun, Aug 11, 2024 at 10:32 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


वक़्त भी कैसे-कैसे #ज़### है

कभी ये तो कभी वो #ज ## है


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2024 । साल्ज़बर्ग (ऑस्ट्रिया)





Friday, August 16, 2024

अगर वो कहे, हम ग़मों को भुला दें

अगर वो कहे, हम ग़मों को भुला दें

जिधर वो कहे, ज़िन्दगानी घुमा दें


ये जलवे मोहब्बत के हमें रास आए

जो बचते हैं उल्फ़त से वजह तो बता दें


जो पर्दानशीं है, है मज़ा ज़िन्दगी का

जो दिखता है हर रोज़, उसे क्यूँ हवा दें


हाथों से जिसकी ज़ुल्फ़ छेड़ी हमने

उसे आज कैसे ग़ज़ल से हटा दें


ये दुनिया नहीं वो जिसे हमने पूजा

मिले फिर अगर वो, दिया हम जला दें


राहुल उपाध्याय । 17 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम







Sunday, August 11, 2024

Re: इतवारी पहेलीः 2024/08/04



On Mon, Aug 5, 2024 at 7:10 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


माँ नरम थी और चलते थे # ## से

प्रेम करते थे दोनों राहुल से, ### से


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम 



इतवारी पहेली: 2024/08/11


इतवारी पहेली:


वक़्त भी कैसे-कैसे #ज़### है

कभी ये तो कभी वो #ज ## है


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2024 । साल्ज़बर्ग (ऑस्ट्रिया)





Saturday, August 10, 2024

हर विषय पर मत होना ज़रूरी नहीं

हर विषय पर मत होना ज़रूरी नहीं 

हर प्रश्न का उत्तर हो यह ज़रूरी नहीं 


कभी बौखला जाओ तो बौखला जाओ

हर बात पे हाज़िर-जवाबी ज़रूरी नहीं 


कभी गिर जाओ और उठ न पाओ और

कोई और उठा दे तो कुछ ग़लत भी नहीं 


हों करने को कई सारे काम पड़े और

दो-चार छूट भी जाए तो कुछ ग़लत भी नहीं 


ये कविता है या बे-सर-पैर की बातें 

मैं सोचूँ इतना मेरी फ़ितरत ही नहीं


राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2024 । साल्ज़बर्ग (ऑस्ट्रिया)







Friday, August 9, 2024

मर्ज़

बाबुल चाहे सुदामा हो

ससुराल चाहे सुहाना हो

नया रिश्ता जोड़ने पर

अपना घर छोड़ने पर

दुल्हन जो होती है

दो आँसू तो रोती है


और इधर

हर एक को खुशी होती है

जब मातृभूमि

संतान अपना खोती है


क्यूँ देश छोड़ने की

इतनी सशक्त अभिलाषा है?

क्या देश में

सचमुच इतनी निराशा है?


जाने कब क्या हो गया

वजूद जो था खो गया

ज़मीर जो था सो गया

लकवा जैसे हो गया


भेड़-चाल की दुनिया में

देश अपना छोड़ दिया

धनाड्यों की सेवा में

नाम अपना जोड़ दिया


अपनी समृद्ध संस्कृति से

अपनी मधुर मातृभाषा से

मुख अपना मोड़ लिया

माँ-बाप का दिया हुआ

नाम तक छोड़ दिया


घर छोड़ा

देश छोड़ा

सारे संस्कार छोड़े

स्वार्थ के पीछे-पीछे

कुछ इतना तेज दौड़े

कि न कोई संगी-साथी है

न कोई अपना है

मिलियन्स बन जाए

यही एक सपना है


करते-धरते अपनी मर्जी हैं

पक्के मतलबी और गर्ज़ी हैं

उसूल तो अव्वल थे ही नहीं

और हैं अगर तो वे फ़र्जी हैं


पैसों के पुजारी बने

स्टॉक्स के जुआरी बने

दोनों हाथ कमाते हैं

फिर भी क्यूँ उधारी बने?


किसी बात की कमी नहीं

फिर क्यूँ चिंताग्रस्त हैं?

खाने-पीने को बहुत हैं

फिर क्यूँ रहते त्रस्त हैं?

इन सब को देखते हुए

उठते कुछ प्रश्न हैं


पैसा कमाना क्या कुकर्म है?

आखिर इसमें क्या जुर्म है?

जुर्म नहीं, यह रोग है

विलास भोगी जो लोग है

'पेरासाईट' की फ़ेहरिस्त में

नाम उनके दर्ज हैं

पद-पैसो के पीछे भागना

एक ला-इलाज मर्ज़ है


राहुल उपाध्याय । 24 फ़रवरी 2007 । सिएटल

https://mere--words.blogspot.com/2008/05/blog-post_5101.html?m=1


स्कूल

स्कूल में काम की चीजें नहीं सिखाई जाती हैं 

जैसे

साइकिल चलाना

मोबाइल चलाना

नक्शा पढ़ना 

चाय बनाना

प्रेम करना


जो नहीं सिखाई जाती हैं

वे हम भली प्रकार सीख जाते हैं 


दोस्ती करना

दुश्मनी निभाना

नफ़रत करना


क्योंकि हम दिल से उन्हें सीखना चाहते हैं 

वे हमारी ज़रूरत हैं

उनके बिना जीवन दुभर है

जीना दुशवार है


जब तक किसी को किसी विषय में रूचि न हो

उसे न सिखाया जाए तो क्या बुरा है?


राहुल उपाध्याय । 9 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम





Sunday, August 4, 2024

इतवारी पहेलीः 2024/08/04


इतवारी पहेली:


माँ नरम थी और चलते थे # ## से

प्रेम करते थे दोनों राहुल से, ### से


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 अगस्त 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 अगस्त 2024 । ऐम्स्टरडम 



Thursday, August 1, 2024

हम सब एक हैं

स्विच दबाते ही हो जाती है रोशनी

सूरज की राह मैं तकता नहीं

 

गुलाब मिल जाते हैं बारह महीने

मौसम की राह मैं तकता नहीं


इंटरनेट से मिल जाती हैं दुनिया की खबरें

टीवी की राह मैं तकता नहीं

  

डिलिवर हो जाता हैं बना बनाया खाना

बीवी की राह मैं तकता नहीं


खुद की ज़रुरतें हैं कुछ इतनी ज़्यादा 

कारपूल की चाह मैं रखता नहीं

 

होटलें तमाम हैं हर एक शहर में

लोगों के घर मैं रहता नहीं


जो चाहता हूँ वो मिल जाता मुझे है

किसी की राह मैं तकता नहीं

 

किसी की राह मैं तकता नहीं

कोई राह मेरी भी तकता नहीं

 

कपड़ों की सलवट की तरह रिश्ते बनते-बिगड़ते हैं

रिश्ता यहाँ कोई कायम रहता नहीं


तत्काल परिणाम की आदत है सबको

माइक्रोवेव में तो रिश्ता पकता नहीं


किसी की राह मैं तकता नहीं

कोई राह मेरी भी तकता नहीं

 

राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2007 । सिएटल 


http://mere--words.blogspot.com/2007/12/blog-post_19.html


भगवान

हम सुबह शाम भगवान को सजा देते हैं

न जाने किस भूल की उसे सज़ा देते हैं


ईश्वर जो कि अजर अमर है

उसे पत्थर में पनाह देते हैं


सब अपनी मनमानी मूरत गढ़ते हैं

उसने हमें बनाया, हम उसे बना देते हैं


फ़ुरसत नहीं हैं जिन्हें मिनटों की

मन्दिरों में घण्टे लगा देते हैं


मना के मनगढ़ंत जन्मदिन और तीज त्योहार

बात-बात पर हम अपना हक़ जता देते हैं


राहुल उपाध्याय । 2001 । सेन फ़्रांसिस्को 

https://youtu.be/HfwFsLm15Tk