समय बदलता रहता है और प्रश्न तने रहते हैं
हज़ारों पैगम्बरों के बाद भी प्रश्न बने रहते हैं
लाख प्रेम का पाठ पढ़ाईयें
लाख भाईचारे के नारे लगाईयें
फिर भी चिरकाल से आज तक
केन-एबल दुश्मन बने रहते हैं
समय बदलता …
हज़ार बार चाहे कृष्ण आए
हज़ार बार चाहे गीता समझाए
फिर भी अर्जुन पहले की तरह
रणभूमि में खिन्न बने रहते हैं
समय बदलता …
बुद्ध ने सब को राह दिखलाई
दु:ख की सब को जड़ बतलाई
फिर भी मोह माया के
रिश्तों आदि के बंधन बने रहते हैं
समय बदलता …
सिएटल,
30 जून 2008
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केन-एबल = Cain and Abel
Monday, June 30, 2008
प्रश्न बने रहते हैं
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:14 PM
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1 comments:
समय बदलता रहता है और प्रश्न तने रहते हैं---यथार्थ... बहुत उम्दा.
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