सब को हो गया
दादी को छोड़कर
या तो
दादी किसी से प्यार नहीं करतीं
या
फिर दादी से कोई प्यार नहीं करता
या
फिर दादी बहुत अनुशासन बरततीं है
या
फिर दादी मोदी की सुनतीं हैं
या
फिर दादी अक़्लमन्द हैं
या
फिर दादी स्वार्थी हैं
यूँही
गुज़ार रहें हैं हम
फ़ुर्सत के रात-दिन
तसव्वुर-ए-कोरोना किए हुए
राहुल उपाध्याय । 12 जुलाई 2020 । सिएटल
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