मार दिया जाए
या क़ानून के हवाले कर दिया जाए
बोल तेरे साथ
क्या सलूक किया जाए
यह सवाल सुनना हो
तो किसी और मुल्क जाया जाए
निजीकरण के युग में
सब कुछ निजी है
कैसे किसी ख़ूँख़ार हत्यारे के प्रति
सहानुभूति जगाई जाए
इसका पाठ पढ़ना हो
तो आज का अख़बार ज़रूर पढ़ें
क़ानून के हाथ अवश्य लम्बे हैं
लेकिन
या तो फ़्यूज़ बहुत ही छोटा है
या फिर हथकड़ी बहुत कमज़ोर
राहुल उपाध्याय । 9 जुलाई 2020 । सिएटल
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