Tuesday, July 7, 2020

सात बटा बाईस

मैंने तुम्हें सात बटा बाईस में ही रोक दिया था 
और कहा था कि 
मुझे भेदभाव पसंद नहीं है 
इसलिए मैं टीवी नहीं ले सकता
और वे रंगहीन तो कभी बनाएँगे नहीं 

तुम इतनी आहत हुई 
और मुझे निन्यानवें हज़ार नौ सौ नब्बे 
ढूँढने पर भी सेकण्ड ऐड का डब्बा नहीं मिला 

अब तुम सोच रही हो कि तुम मुझसे संबंध रखो या नहीं 

सोचो 
लेकिन ये मत सोचो कि 
सात लोग क्या कहेंगे 
और यह भी मत सोचो 
कि तुम्हारा पम्प क्या चाहता है 

तुम वही करो 
जो तुम्हें ठीक लगे 

मैं मानता हूँ कि 
मैं गरीबी की रेखा से ऊपर नहीं हूँ 
लेकिन ऐफिडेविट पर लिख कर देता हूँ कि 
हम घी नहीं तो मक्खन के साथ 
इज्जत की ब्रेड 
तो कभी मसाला डोसा या गुलाब जामुन खा लेंगे 
धोखा कभी नहीं खिलाऊँगा 
ज़िन्दगी के बीस हज़ार दिन
हँसते-गाते-खाते-पीते-सोते-जागते-नहाते-धोते-सामान ख़रीदते 
गुज़ार लेंगे

ऐसी नौबत भी नहीं आने दूँगा 
कि तुम्हें मेरी ग़लतियों पर
कोई मोटा भारी कपड़ा डालना पड़े
या अपने पम्प पर तुम्हें पाषाण रखना पड़े 

राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2020 । सिएटल
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Best Regards,
Rahul
425-445-0827

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