मैंने तुम्हें सात बटा बाईस में ही रोक दिया था
और कहा था कि
मुझे भेदभाव पसंद नहीं है
इसलिए मैं टीवी नहीं ले सकता
और वे रंगहीन तो कभी बनाएँगे नहीं
तुम इतनी आहत हुई
और मुझे निन्यानवें हज़ार नौ सौ नब्बे
ढूँढने पर भी सेकण्ड ऐड का डब्बा नहीं मिला
अब तुम सोच रही हो कि तुम मुझसे संबंध रखो या नहीं
सोचो
लेकिन ये मत सोचो कि
सात लोग क्या कहेंगे
और यह भी मत सोचो
कि तुम्हारा पम्प क्या चाहता है
तुम वही करो
जो तुम्हें ठीक लगे
मैं मानता हूँ कि
मैं गरीबी की रेखा से ऊपर नहीं हूँ
लेकिन ऐफिडेविट पर लिख कर देता हूँ कि
हम घी नहीं तो मक्खन के साथ
इज्जत की ब्रेड
तो कभी मसाला डोसा या गुलाब जामुन खा लेंगे
धोखा कभी नहीं खिलाऊँगा
ज़िन्दगी के बीस हज़ार दिन
हँसते-गाते-खाते-पीते-सोते-जागते-नहाते-धोते-सामान ख़रीदते
गुज़ार लेंगे
ऐसी नौबत भी नहीं आने दूँगा
कि तुम्हें मेरी ग़लतियों पर
कोई मोटा भारी कपड़ा डालना पड़े
या अपने पम्प पर तुम्हें पाषाण रखना पड़े
राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2020 । सिएटल
-- Best Regards,
Rahul
425-445-0827
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