मेरे घर पर
ताला नहीं है
फिर भी कोई
आता नहीं है
चोर आए
चोरी करे
नक़ाबपोश भी
मुँह दिखाता नहीं है
संग्राम भी है
संग राम भी है
चारागर मगर
मिल पाता नहीं है
सब हैं
अपनी-अपनी ही धुन में
अब कोई किसी को
कुछ समझाता नहीं है
हर घड़ी अलार्म
बज रहा है 'राहुल'
फिर भी कोई
जग पाता नहीं है
राहुल उपाध्याय । 30 जुलाई 2020 । सिएटल
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