अब हम मौसम की बात करने लगे हैं
यानी
पेट भरा हुआ है
सर पर छत है
और तन पर कपड़ा है
—-<>—
अच्छे दिनों की हमें चिन्ता नहीं है
और हो भी क्यों
हमारे लिए तो ये एक जुमला है
मनोरंजन का साधन है
मोबाइल में जोक
ढूँढेंगे
पढ़ेंगे
फ़ॉरवर्ड करेंगे
फिर चैन की साँस लेकर
नेटफ्लिक्स पर
बहुचर्चित वेब सीरीज़ देखेंगे
भीड़ से अलग होकर जीना आता नहीं
अंततोगत्वा
किसी न किसी भीड़ से जुड़ ही जाते हैं
—-<>—
अब हम मौसम की बात करने लगे हैं
यानी
पेट भरा हुआ है
सर पर छत है
और तन पर कपड़ा है
राहुल उपाध्याय । 22 जुलाई 2020 । सिएटल
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