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डॉक्टर को देखा
तूने जब-जब हुआ बुखार
अस्पताल को दौड़ा
तू जब-जब हुआ बीमार
एक बदनसीब हूँ मैं
मुझे नहीं पूछा एक बार
सूरज की पहली किरणों को
देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारों को देखा
सपनों में खो जाते हुए
यूँ किसी न किसी बहाने
तूने देखा सब संसार
मास्क की क़िस्मत क्या कहिए
होंठों पे तूने लगाया है
पानी की क़िस्मत क्या कहिए
तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में
पाऊँ तेरी आँखों में प्यार
(इंदीवर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2020 । सिएटल
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