ग़नीमत है
लोग
घरों में आज भी आज़ाद हैं
और होटलों में क़ैद
जो खुद स्वतंत्र नहीं हैं
यह तय करने के लिए
कि वे किसके साथ हैं
वे जनता का साथ क्या देंगे
मैं तो कहता हूँ
कि एक क़ानून बनना चाहिए
संविधान में संशोधन होना चाहिए
कि
जिस शहर में आपका घर हो
वहाँ आप होटल में न रह सके
इससे
दो बातें होंगी
एक तो लोग
ज़बरदस्ती
खूँटे से बंधने से बच जाएँगे
और
दूसरा
अवैध सम्बंध कम स्थापित होंगे
राहुल उपाध्याय । 13 जुलाई 2020 । सिएटल
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