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जाने वो कैसे रोग थे जिनका
जल्द उपचार मिला
हमने तो जब टीका माँगा
वादों का अम्बार मिला
काम से जब छुट्टी चाही तो
जॉब ही छूट गई
नेताओं के भाषण सुनें तो
आस ही टूट गई
भटका दर-दर इधर-उधर
बंद हर द्वार मिला
बिछड़ गया हर साथी कहकर
है दो दिन की बात
किसकी हिम्मत है जो थामे
बीमारों का हाथ
हमको तो आईना तक
देता फटकार मिला
इसको ही जीना कहते हैं तो
यूँही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे मास्क पहनेंगे
हाथ धो लेंगे
जीवन से अब घबराना कैसा
जीवन सार मिला
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 26 जुलाई 2020 । सिएटल
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