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अभी ही जाओ छोड़ कर
कि हो रहा बुरा अभी
मार्च अप्रैल से आई हो
क़हर बन के छाई हो
मास्क भी लगा लिए
हाथ भी धो लिए
सेनिटाईजर भी ले आए हैं
मगर न काम आए हैं
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ,
निडर हो के जी तो लूँ
अभी तो कहीं गया नहीं
अभी कोई आया नहीं
करोड़ों तिलमिला उठे
करोड़ों छटपटा उठे
बस अब न मुझको टोकना
न मुझे तुम्हें है रोकना
अगर जो अब गई नहीं
लुट जाएँगे यहाँ सभी
कुछ दफ़्न हो जाएँगे
कुछ ख़ाक हो जाएँगे
लो जाओ तुम इसी घड़ी
बढ़ाओ और न बेबसी
असाध्य रोग डाल के
बड़े-बूढ़ों को मार के
जो रोज़ यूँही आओगी
क़हर बन के छाओगी
कि ज़िंदगी की राह में
जवाँ दिलों की चाह में
कई दबाव आएंगे
जो हम को आज़माएंगे
ठीक से सुनो मुझे
ये हू्क्म है इल्तिजा नहीं
अभी ही जाओ छोड़ कर
कि हो रहा बुरा अभी
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 19 जुलाई 2020 । सिएटल
2 comments:
बढ़िया
बहुत खूब!
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